शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

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मुझे पतझड़ की कहानियां,
सुना सुना के न उदास कर,
नए मौसम का पता बता,
जो गुज़र गया, वो गुज़र गया...
शुभ प्रभात
जय औम बन्ना सा

जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखता औरो की नजर से....!!!!
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"इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,

शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते....!!!!



खुदको बिखरने मत देना कभी
किसी हाल में ,
लोग गिरे हुए मकान की इंटे तक

ले जाते है.....!!!

"दोस्त को भूलना ग़लत बात है.
उन्ही का तो जिंदगी भर साथ है.
अगर भूल गये तो सिर्फ़ खाली हाथ है,

अगर साथ रहे तो ज़माना कहेगा-'क्या बात है'"

ज़िन्दगी का भरोसा नहीं,दुनिया का यकीन क्या करें,आज की यारी मतलब की,कोई किसी के लिए क्यूँ मरे |भाई भाई से करे धोखा,गैरों से उम्मीद ना रही,
माना के यह कल युग है,

मगर प्यार जिंदा है कहीं ना कहीं

महसूस कर रहे हैं तेरी लापरवाई कुछ दिनों से...

याद रखना अगर हम बदल गये तो मनाना तेरे बस की बात नही....!!!!

अपनी ज़िंदगी के अलग ही उसूल हैं,
यार की खातिर तो काँटे भी काबुल हैं
हँस कर चल दू काँच के टुकड़ो पर भी,

.अगर यार कहे ये मेरे बिच्छाए हुए फूल है

आँख कितनी भी छोटि क्यु ना हो
उसमें ताकत

तो सारा आसमान देखने कि होती है

मैं अखब़ार नहीं, जो दूसरे दिन पुराना हो जाऊँ....!
.
.
.

मैं ज़िन्दगी का वो पन्ना हूँ, जहाँ लम्हे ठहर जाते है...!!

अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है
ज़िंदगी..!!
तो क्यों ना चाशनी में डूब के मज़ा ले

ही लिया जाए...!!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. What you're saying is completely true. I know that everybody must say the same thing, but I just think that you put it in a way that everyone can understand. I'm sure you'll reach so many people with what you've got to say.

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