शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

विदाई गीत - सत्रह सीख -1


छोड दादोसा को हेत, पापासा को प्यार
               लाडल बाई सीध चाल्या ।
आयो सगाँ केरो सुवटो, सासुसा रो लाडलो,
लेगो टोली मां सू टाल, गायड बाई सिध चाल्या ।
              लाडल बाई सिध चाल्या ।
पाली पोसी कोड सू राखी बरस बाईस
आज विदाई देवतां ऊठे कलजीये कसीस
              राजल बाई सिध चाल्या ।
याद  घनी था की आवसी,हिवड़े  मे उठे टीस
सदा सुहागण थे रहो,'आ' हि है आसीस
                लाडल बाई सीध चाल्या ।
बैना ने छोड़ी  बिलखती, मायड को बे हाल
सगला हि आँसू  ढालिया थां के जाता हि ससुराल
                     कोयल बाई सिध चाल्या ।
दो घर जाणो डीकरी पिहर आ ससुराल  ,
पहला घर न भुल जाये अ विधना का हाल।
                  लाडल बाई सिध चाल्या ।
देयोर जिठाण्याँ सासरे  सा नणद के साथ 
उभी अडिकै पोल मं ले सुवरण थाल हाथ ।
                 कोयल बाई सिध चाल्या ।
झूंठा हेवा झूंठा नावां ऊँची  ऊँची   खाँप
जनम पुरबला मित तो मिल जाय आपूँ आप।
                       लाडल बाई सिध चाल्या ।
सासरियो सुरंगो भलो लागसी मौजा मानो दिन  रात
आणे दूजे बण पावणी आण्यो टाबरियां के  साथ
          गायड बाई सिध चाल्या ।
क्रमश:.........

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